या देवी सर्वभूतेषु दुर्गा रुपेण संस्थिताः।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
Dear Readers, Wishing you all a vary Happy Navratri ...
There are nine forms of Durga Mata worshipped during this festival.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
Dear Readers, Wishing you all a vary Happy Navratri ...
Navratri is an Indian festival celebrated by Hindus . Navrati word origin from Sanskrit word “Nava” and “Ratri”. Nava means Nine ,and Ratri means Nights, So Navratri means Nine Nights,.Navratri festival is celebration of nine days worship Goddess Durga/Shakti in different forms of ma Durga and tenth day is celebrated as Vijayadashami or Dussehra.
There are nine forms of Durga Mata worshipped during this festival.
- First Day ~ Mata Shailputri.
- Second Day ~ Mata Brahmacharini.
- Third Day ~ Mata Chandraghanta.
- Fouth Day ~ Mata Kushmanda.
- Fifth Day ~ Mata Sakanda.
- Sixth Day ~ Mata Katyayani.
- Seventh Day ~ Mata Kalratri.
- Eighth Day ~ Maha Gauri.
- Ninth Day ~ Mata Siddhidatri.
Shri Durga Ji Ki Aarti
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Falodi(Brahmani) Mata,Ramsar(Bikaner),India |
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निशि दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ||
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को |
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ||
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै |
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पार साजै ||
केहरि वाहन राजत, खडूग खप्पर धारी |
सुर - नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ||
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती |कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ||
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती |
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मतमाती ||
चण्ड - मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे |
मधु - कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ||
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी |
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ||
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरु |
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ||
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता |
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता ||
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी |
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ||
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती |
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ||
अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख - सम्पत्ति पावे||
तुमको निशि दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ||
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को |
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ||
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै |
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पार साजै ||
केहरि वाहन राजत, खडूग खप्पर धारी |
सुर - नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ||
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती |कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ||
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती |
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मतमाती ||
चण्ड - मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे |
मधु - कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ||
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी |
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ||
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरु |
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ||
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता |
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता ||
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी |
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ||
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती |
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ||
अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख - सम्पत्ति पावे||
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